जानिए भय्यूजी महाराज के बारे मे कुछ अनसुनी बाते
So hajee
भय्यूजी महाराज को ऐसा देश मे कोई नही होगा जो जानता नही होगा । जितनी उनकी देश मे पहचान थी उतने ही ज्यादे भक्त । आज उनके चाहने वालों को विश्वास नही हो रहा है, जो संत उनको गलत कामो से रोकता था, किसानो को आत्महत्या से रोकते था वह आज अपने ही जिंदगी से हार कैसे मान बैठा ?
मरने चंद घंटे पहले उन्होंने किसानो के समस्याओ को फेसबुक पर उजागर किया था । उन्होंने कहा था,
हमारी सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था कृषि पर ही निर्भर है | आज देश को अनेक हिस्सों में जल की पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं | इसका कृषि पर सीधा प्रभाव पड़ रहा है | भूमि के गिरते जल स्तर के कारण गांवों के कुएं-बावड़ियाँ व नहरें सूखने की स्थिति में हैं ।
भय्यूजी महाराज के मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मे हजारो अनुयायी है और साथ मे ही कई बडे राजनेताओ के साथ ही उनकी फिल्म इंडस्ट्री अनेक अनुयायी थे । मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हे मंत्री पद का दर्जा दिया था लेकिन, अध्यात्म के क्षेत्र मे काम करने वाले लोंगो को किसी भी पद जरूरत नही रहती यह कहकर उन्होंने पद स्वीकार करने से इन्कार किया था ।
कैसे हुयी मृत्यु ?
आध्यात्मिक संत भय्यूजी महाराज जी ने इंदौर मे अपने खुद के घर मे खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली । साथ मे उनका सुसाइड नोट भी मिला ईसमें उन्होंने कहा है कि वह अपने मानसिक तनाव के कारण ऐसा किया है और अपने मौत का जिम्मेदार उन्होंने किसी को भी नही बताया है । अपने खुद के लायसेंस रिवॉल्वर से ही उन्होंने आत्महत्या की ।
जिवन परिचय
राष्ट्रसंत भय्यूजी महाराज का जन्म मध्यप्रदेश के शाजापुर मे 29 एप्रेल 1968 मे हुआ था । उनका पुरा नाम उदयसिंग विश्वासराव देशमुख था । उनके पिता विश्वासराव देशमुख महाराष्ट्र काँग्रेस के कद्दावर नेता थे । भय्यूजी महाराज जी ने शुरवाती कुछ दिनों मे सियाराम कपडों के कंपनि के लिए मॉडलिंग भी की लेकीन, अध्यात्म के तरफ रूझान के वजह से उन्होंने अध्यात्म का स्वीकार किया । लेकिन खुद को कभी भगवान नही कहलवाया ।
अध्यात्मिक जीवन
उन्होंने सूर्यदेव की उपासना की, नाथ संप्रदाय और भगवान दत्त को अपना गुरु माना । अध्यात्मिक क्षेत्र के साथ उन्होंने सामाजिक क्षेत्र मे भी अपना योगदान दिया । महाराष्ट्र के मराठवाड़े मे पानलोट जैसे महत्वपूर्ण कार्य किए । मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मे किसानो के मुद्दो को लेकर वह हमेशा चिंतित रहते थे । उनका पर्यावरण संरक्षण मे महत्वपूर्ण योगदान दिया । उन्होंने अपने सूर्योदय संस्थान के माध्यम से धार्मिक स्थल कि सफाई, ग्राम समृध्दि,स्वरोजगार ऐसे अनेक सामाजिक कार्य किए । अपनी गुरुदक्षिणा के तौर पर वह लोंगो को पेड लगाने को कहते थे और अबतक उन्होंने 18 लाख पेड लगाये थे ।
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